नई दिल्ली. पुणे में जुलाई-अगस्त माह में में कुछ हिस्सों में तेजी से संक्रमण फैला। 51 फीसदी लोग संक्रमित हुए थे। इसके बाद सीरो ने शहर के चार हिस्सों में सर्वे किया तो वहां पर 85 फीसदी में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज मिले। वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो गई है।
सवाल : कैसे विकसित होगी हर्ड इम्युनिटी
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया के कई देशों में वैक्सीनेशन शुरू है। अब सवाल उठने लगा है कि हर्ड इम्युनिटी कैसे विकसित होगी? क्या 70 फीसदी लोगों की इम्युनिटी मजबूत होने या इतने ही लोगों को वैक्सीन लगने के बाद या फिर इतने लोगों के संक्रमित होकर ठीक होने के बाद उनमें एंटीबॉडीज विकसित होने पर? कुछ ऐसे सवाल जो आमजन के मन में भी उठतेे हैं। जानते हैं इसके बारे में-
सवाल : हर्ड इम्युनिटी विकसित हो गई, कैसे तय करते हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, हर्ड इम्युनिटी की गणना सामान्यत: कोरोना वायरस एक व्यक्ति से औसतन कितने लोगों को संक्रमित कर रहा है, इससे तय करते हैं। जरूरी है कि वहां संक्रमितों की संख्या अधिक होनी चाहिए।
सवाल : कैसे जानेंगे कि हर्ड इम्युनिटी विकसित हो गई?
हर 5 में 4 लोग अगर कोरोना मरीज के संपर्क में आने के बाद संक्रमित नहीं होता है तो हर्ड इम्यूनिटी का संकेत देता है।
सवाल : वायरस के नया वैरिएंट से हर्ड इम्युनिटी प्रभावित होगी?
पहले संक्रमित होने पर वायरस के वैरिएंट व आपके शरीर में विकसित एंटीबॉडीज की मौजूदगी पर निर्भरा करेगा कि आपका शरीर संक्रमण से बचने में कितना सक्षम है।
सवाल : क्या दुनिया भर में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो सकती है?
मुश्किल है, क्योंकि विकसित देश इस साल वैक्सीन का अधिक उत्पादन व खरीद कर ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण करा सकते हैं लेकिन गरीब देशों के लिए संभव नहीं है।
सवाल : हर्ड इम्युनिटी कितने समय तक रहती है?
विशेषज्ञों के अनुसार हर्ड इम्युनिटी कई माह तक रह सकती है। वैक्सीन की दोनों खुराक लेने से यह कई माह तक रह सकती है।
सवाल : वैक्सीन संक्रमण से बचाव में सक्षम नहीं हुई तो क्या होगा?
वैक्सीन संक्रमण को पूरी तरह रोकने में कितनी सफल होगी यह अभी कहना बहुत मुश्किल है लेकिन कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में कारगर हो सकती है।